लम्हे-फुरसत के
- 39 Posts
- 55 Comments
उनकी गली से अक्सर हम छुप के गुजर जाते है
वरना ये दुनिया वाले इल्जाम लगाते है
उन खिड़कियो से हरदम महकी हवा का आना
न चाहते हुये भी हरबार ठहर जाते है
ढेरो सवाल आँखे ढेरो जवाब चेहरा
कुछ देर देखता हू वो शरमा के छुप जाते है
उनका नज़र उठाना उनका नज़र झुकाना
जुल्फो से खेलना थोड़ा सा मुस्कुराना
कुछ पल को मौसमो के मिजाज बदल जाते है
रातो को उनको तकना और चाद से परखना
उनका पलट-2 के हर बार थोड़ा हँसना
हर रात इसी बात पे जागे हुये सो जाते है
और दिन भी रात की यादो मे गुजर जाते ह
ै ै
यौवन की गलतकारी बातो की अदाकारी
होठो की नर्मिया चेहरे की ये खुमारी
मन मे दबे हुये ये अरमान सुलग जाते है
दिल छोड़ के वही पे हरबार लौट आते है
Read Comments