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ये सफेदपोश

लम्हे-फुरसत के
लम्हे-फुरसत के
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कुछ लोग ये सफेदपोश इन सबके दिल काले है

ये झूठ के बाजार मे अरबो मे बिकने वाले है

खुद ही है गुनहगार जो उनकी ही सल्तनत है

उन सबके सर कटेगे जो लोग ईमानवाले है

सत्ता मे 5 साल बस रुतबा दिखाने वाले है

यहा सच कहने वालो के जान के लाले है

हमे रात के अंधेरो से डराया न कर

ये जुगनुओ का शहर है हर वक्त उजाले है

देखी नही तंगहाली गरीब के घर मे

हर चीज मुकम्मल है यहा इनकी नजर मे

चुनावो के मौसम मे हबीब नजर आते है

फिर क्ई साल इनकी यादो मे निकल जाते है

ये सब है फरेबी बस ख्वाब दिखाते है

और जिन्दगी के दिन ख्वाबो मे गुजर जाते है

ये ही रहे तो देश मे ऐसे भी दिन आयेगे

शेरो को चन्द चूहे औकात दिखायेगे

[ मेरी कलम से
सौरभ मिश्र ]

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