लम्हे-फुरसत के
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खुदा करे तेरी खुशिया सदा सलामत रहे
भले तू मेरी नही किसी और की अमानत रहे
हमने जितना तुझे मागा जितना चाहा तुझको
तू जहा हो तुझे इतनी ही मुहब्बत मिले
हम उस प्यार से महरुम रहे
जिसे हर रात ख्वाब मे तलाशा करते थे
वो कुछ गलतिया वो बीच की थोड़ी सी खलिश
सब कुछ मिट गया बस गलतिया सुधारते रहे
हमे मालूम है जो टूट गया जुड़ता नही
फिर भी तेरे मेरे रिश्ते को जोड़ते रहे
तू कुछी पल मे किसी और का हो जायेगा
ये सोचकर काफी रातो तक जागते रहे
वो तो अब जा चुका क्यो आयेगा
नयी दुनिया को बसाने मे मसरूफ है
ये यादे कही मार न डाले मुझको
इसीलिये शराब के सहारे जीते रहे
[ मेरी कलम से
सौरभ मिश्र ]
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